वर्षा तू कितनी भोली है,
नहीं जानती कब आना है
और तुझे कब जाना है?
बादल तेरे संग मँडराता
हवा तुम्हें बहा ले जाती।
जहाँ चाहता रुक है जाता
और तुम्हें है फिर बरसाता।
धरती से तू दूर हो गई,
मानव से क्यों रूठ गई ?
अदभुत तेरा रूप सुहाना
बारिश में भींग-भींग कर गाना।
कहाँ गया वह तेरा रिश्ता ?
बच्चों के संग धूम मचाना।
रौद्र रूप तुम दिखला कर
दुनिया को अचंभित कर देती।
कभी रुला देती मानव को,
बूँद-बूँद को भी तरसा है देती।
भू पर गिर जीवन देती तू
सभी प्राणी का चित हर लेती।
फिक्र औरों का तू करती।
वर्षा तू कितनी भोली है।
---अर्चना सिंह‘जया
नहीं जानती कब आना है
और तुझे कब जाना है?
बादल तेरे संग मँडराता
हवा तुम्हें बहा ले जाती।
जहाँ चाहता रुक है जाता
और तुम्हें है फिर बरसाता।
धरती से तू दूर हो गई,
मानव से क्यों रूठ गई ?
अदभुत तेरा रूप सुहाना
बारिश में भींग-भींग कर गाना।
कहाँ गया वह तेरा रिश्ता ?
बच्चों के संग धूम मचाना।
रौद्र रूप तुम दिखला कर
दुनिया को अचंभित कर देती।
कभी रुला देती मानव को,
बूँद-बूँद को भी तरसा है देती।
भू पर गिर जीवन देती तू
सभी प्राणी का चित हर लेती।
फिक्र औरों का तू करती।
वर्षा तू कितनी भोली है।
---अर्चना सिंह‘जया
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