सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।
Friday, April 27, 2018
Saturday, April 14, 2018
भावांजलि: उत्सव, उल्लास है लाया [ कविता ]
भावांजलि: उत्सव, उल्लास है लाया [ कविता ]: पर्व ,उत्सव है सदा मन को भाता ‘खेती पर्व’ संग उल्लास है लाता। कृषकों का मन पुलकित हो गाया, ‘‘खेतों में हरियाली आई, पीली सरसों दे...
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