सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।
भावांजलि: उत्सव, उल्लास है लाया [ कविता ]: पर्व ,उत्सव है सदा मन को भाता ‘खेती पर्व’ संग उल्लास है लाता। कृषकों का मन पुलकित हो गाया, ‘‘खेतों में हरियाली आई, पीली सरसों दे...
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