Thursday, October 26, 2017

चलो सूर्योपासना कर लें


         
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
अनुपम लोकपर्व फिर मना कर,
कार्तिक शुक्ल षष्ठी का व्रत कर,
लोक आस्था को जागृत कर लें।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
  सूर्यास्त व सूर्योदय के पल हम,
  जल अर्पण कर शीश झुकाएॅं,
  सुख-समृद्धि,मनोवांछित फल पाएॅं,
  घर से लेकर घाट जब जाएॅं,
  भक्तिगीत समर्पित कर आएॅं।
  चलो सूर्योपासना कर लें,
  छठी मईया की आराधना कर लें।
निर्जला  व्रत कठिन है करना
खीर ग्रहण कर मनाएॅं ‘खरना’।
कद्दू-चावल प्रसाद ग्रहण कर,
व्रत आरंभ करते श्रद्धालु जन,
पावन पर्व का संकल्प ले कर।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
    डाल दीप,फल,फूलों से सजाकर,
    संध्या अर्घ्य  व उषा अर्घ्य अर्पित कर,
    चार दिवसीय यह पर्व मनाकर ,
    निष्ठा-श्रद्धा से जो कर लो इसको
    घाट दीपावली-सा सज जाता फिर तो।
    चलो सूर्योपासना कर लें,
    छठी मईया की आराधना कर लें।

                            अर्चना सिंह जया

Saturday, October 21, 2017

दिवाली [ कविता ]

   
दिवाली की रात है आई,
खुशियों से दामन भरने /
अज्ञानता के तम को दूर भगा,
ज्ञान के दीप को प्रज्ज्वलित करने।
पटाखों की धुॅंध से न होने देना,
सच्चाई की राह को बोझिल /
दूसरे के जीवन को कर रौशन
देखो कैसे ? लौ मंद-मंद मुस्काती ,
मानव तुम भी सीखो इनसे कुछ
हर वर्ष दिवाली, ईद क्या कहने आती ?
मिल जुलकर खुशी मनाने से ही
वसुधा में प्रेम की हरियाली आती।

                        ------- अर्चना सिंह जया


Monday, October 2, 2017

भावांजलि: हाड़ मॉंस का इंसान ( कविता )

भावांजलि: हाड़ मॉंस का इंसान ( कविता ):   हाड़ मॉंस का था वो इंसान , रौशन जिसके कर्म से है जहान। प्रतिभा - निष्ठा कर देश के नाम सुदृढ़ राष्ट् बनाने का थ...