मोहब्बत की राह https://www.zorbabooks.com/spotlight/archanasingh601gmail-com/poem/%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b9%e0%a4%ac%e0%a5%8d%e0%a4%ac%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b9/
सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।
Friday, February 23, 2024
Tuesday, January 23, 2024
दिल्ली की सर्दी
दिल्ली दिल वालों की है जनाब, चाहे कोहरे बिछे हों राह
सड़क किनारे टिक्की-चाट,कुल्फी आइसक्रीम लेकर हाथ।
शीतल पवन तन-मन को छूती, सर्दी का कराती है एहसास
बच्चे,जवान, बूढ़े को फिर भी दिल्ली की सर्दी आती रास।
रह-रहकर दिल्ली-सर्दी,शिमला-नैनीताल की याद दिलाती
युवाजन फैशन के वशीभूत जैसे, सर्दी उनको छू कहाँ पाती?
पर, गरीब बेचारे दो वक्त-रोटी के मारे सर्दी उन्हें नहीं सुहाती,
तन ढकने को वस्त्र नहीं, क्षुधा अग्नि भी ठंड से कहाँ बचाती?
दिल्ली की सर्दी में पशु-पक्षी-मानव शीत लहर की मार खाते
गरीब,बेघर,बेचारे दाल रोटी, चादर कंबल को तरसते हैं सारे।
सर्दी अब रहम कर जीव-जन्तु संग मानव भी होगी आभारी।
कोहरे-धुंध में रो रही मजबूर-असहाय-गरीब जनता बेचारी।
मंगल गीत गाओ
गाओ री मंगल गीत सखि, आया राम महोत्सव, ढ़ोल-मंजीरे लाओ री सखि। जय राम,श्री राम में रम जाओ री सखि।