Sunday, September 22, 2019

हे मानव

अंधियारे से सीख, हे मानव
जीवन इतना भी सरल नहीं
जो अब भी न सीख सका तो
खो कर पाने का अर्थ नहीं।
धन, मकान,अहम् धरा रहेगा
जाएगा कुछ तेरे साथ नहीं।
समय का चक्र ही है सिखाता
धर्म ,सदाचार के बाद है कहीं।
अपना पराया जल्द समझ ले
वक्त का साया गुम हो न कहीं।
पछता कर क्या कर पाएगा?
न होगा जब तेरे पास कोई।
क्षमा,दया,सुविचार ही धर्म है
मानवता का है श्रृंंगार यही।
हर बात में सीख हँसना हँसाना
रोने के लिए तो है उम्र पड़ी।
जीवन का कर रसपान हर दिन
व्यर्थ ही न गुजर जाए यह कहीं।
जीवन खुद में ही है मधुशाला
खोज इसी में नित चाह नई।



Saturday, September 14, 2019

हिन्दी दिवस .

हिन्दी हैं हम (कविता )

देवनागरी लिपि है हम सब का अभिमान,
हिन्दी भाषी का आगे बढ़कर करो सम्मान। 
बंद दीवारों में ही न करना इस पर विचार,
घर द्वार से बाहर भी कायम करने दो अधिकार।

कोकिला-सी मधुर है, मिश्री-सी हिन्दी बोली,
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम सबकी हमजोली।
भिन्नता में भी है, यह एकता दर्शाती,
लाखों करोंड़ों भारतीय दिलों में है,जगह बनाती। 

दोहा, कविता, कहानी, उपन्यास, छंद,
हिन्दी भाषी कर लो अपनी आवाज बुलंद। 
स्वर-व्यंजन की सुंदर यह वर्णशाला,
सुर संगम-सी मनोरम होती वर्णमाला। 

निराला, दिनकर, गुप्त, पंत, सुमन,
जिनसे महका है, हिन्दी का शोभित चमन। 
आओ तुम करो समर्पित अपना तन मन, 
सींचो बगिया, चहक उठे हिन्दी से अपना वतन। 

                                                                                 ----- अर्चना सिंह जया
                                                                                    [ 12 सितम्बर 2009 राष्ट्रीय सहारा ‘जेन-एक्स’ में प्रकाशित ]

Thursday, September 12, 2019

तुझी से

तुझ से हैं साँसे मेरी
तुझ से है ज़मीं आसमाँ।
तुझ से है दिन रौशन
तुझ से ही है रातें जवाँ।
तुझ से है महकती शाम
तुझ से सजते हैं अरमाँ।
गीत, संगीत मुस्कुराहट तुम्हीं से
सुकून आया मिलकर तुम्हीं से।।
तुझी से है दिल की धड़कन
तुझी से जिंदगी का कारवाँ।
तुझी से है चेहरे पर नूर
तुझी से है फिजा़ में सुरूर।
पहले भी था,आज भी है
अपने प्यार पर मुझे गुरूर।


Thursday, September 5, 2019

नमन है श्रद्धा सुमन


नमन है श्रद्धा सुमन (कविता)


सतकर्म कर जीवन किया है जिसने समर्पित,
उन्हीं के मार्ग पर चल, उन्हें करना है गर्वित।
माता -पिता व गुरुजनों का मान बढ़ाया जिसने,
अब कर जोड़, शीश नमन उन्हें करना है हमने।
वतन को अब रहेगा सदैव उन पर अभिमान ,
बच्चे ही नहीं बड़े भी उन्हें करते हैं सलाम।
‘भारत रत्न 'भी कहलाए श्री अब्दुल कलाम,
श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे, मानव उम्र तमाम ।
वैज्ञानिक, तर्कशास्त्री, मार्गदर्शक भी कहलाए वे,
भारतीय होने के सभी फर्ज शिद्द्त से निभाए वे।
‘मिशाइल मैन ' के खिताब से भी नवाजा गया,
व्यक्तित्व जिसका वतन का दामन महका गया ।
जमीं का तारा आसमॉ का सितारा हो गया ।
मानवता का पाठ पढ़ाकर शून्य में विलीन हो गया ।
उदारता से परिपूर्ण था, हृदय जिसका सदा,
सर्वोच्च शिखर प्राप्त हो ऐसा व्रत लिया ।
लगन औ मेहनत के मिशाल बने स्वयं वे,
जो न सोने दे, ऐसा स्वप्न सदैव देखा किए ।
सुनहरे सफर में ‘अग्नि  ,‘पृृथ्वी  और ‘आकाश  साकार किया,
‘सुपर पावर  राष्ट् हो, सोच पूर्ण योगदान दिया ।
सादा जीवन उच्च विचार का आभूषण धारण कर,
सम्पूर्ण जीवन देश के नाम न्योछावर किया ।
युवाजन अब चलो उठो, प्रज्ज्वलित करो मशाल
स्वर्णिम भारत का मन में अब कर लो विचार ।
जो समााज का स्वेच्छा से करते हैं उद्धार,
ऐसे शिक्षकों को है हमारा  बरहम्  बार प्रणाम ।
                                                                
  [  श्री ए पी जे अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि]
                                                                                          ---------- अर्चना सिंह ‘जया’