Tuesday, January 23, 2024

दिल्ली की सर्दी

दिल्ली दिल वालों की है जनाब, चाहे कोहरे बिछे हों राह 

सड़क किनारे टिक्की-चाट,कुल्फी आइसक्रीम लेकर हाथ।

शीतल पवन तन-मन को छूती, सर्दी का कराती है एहसास 

बच्चे,जवान, बूढ़े को फिर भी दिल्ली की सर्दी आती रास।

रह-रहकर दिल्ली-सर्दी,शिमला-नैनीताल की याद दिलाती 

युवाजन फैशन के वशीभूत जैसे, सर्दी उनको छू कहाँ पाती?

पर, गरीब बेचारे दो वक्त-रोटी के मारे सर्दी उन्हें नहीं सुहाती,

तन ढकने को वस्त्र नहीं, क्षुधा अग्नि भी ठंड से कहाँ बचाती?

दिल्ली की सर्दी में पशु-पक्षी-मानव शीत लहर की मार खाते

गरीब,बेघर,बेचारे दाल रोटी, चादर कंबल को तरसते हैं सारे। 

सर्दी अब रहम कर जीव-जन्तु संग मानव भी होगी आभारी।

कोहरे-धुंध में रो रही मजबूर-असहाय-गरीब जनता बेचारी।


मंगल गीत गाओ

गाओ री मंगल गीत सखि,                                                    आया राम महोत्सव, ढ़ोल-मंजीरे लाओ री सखि।                          जय राम,श्री राम में रम जाओ री सखि।                      

सरयू तट पर हुई भीड़ भारी,धन्य हुई है अयोध्या सारी,
ईंट-ईंट राम के हैं आभारी, झूम रहे बच्चे, बूढ़े, नर-नारी,
माटी-माटी से आवाज आई, बस 'राम नाम है सुखदाई।'

भूमि पूजन,पुष्प,तिलक,अब प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी है आई।
राम नाम ही है सत्य साईं, रोम-रोम में राम समायी,
दो अक्षर में जग रमायी,परम आनंद इस नाम में भाई।

भक्ति रस में डूबी नगरी सारी,राम लला की छवि लागे प्यारी।
धरती अंबर में है गुंजायमान,अंर्तमन में रम गए सियाराम।
राम आदि-अनंत है साईं, हनुमान सी भक्ति हिय है जागी।
प्रभु को कर जीवन समर्पित, प्रसन्न चित होंगे अवध बिहारी।

गाओ री मंगल गीत सखि,                                                    आया राम महोत्सव, ढ़ोल-मंजीरे लाओ री सखि।                          जय राम,श्री राम में रम जाओ री सखि।     


* अर्चना सिंह जया,गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश 
22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर।