Saturday, February 23, 2019

Sunday, February 17, 2019

जि़दगी

                💐ज़िंदगी💐

क्या गलत है, क्या सही है? समझ नहीं पायी थी ज़िंदगी , 
जीवन के चैराहे पर तन्हाॅ, कश्मकश में थी सहमी ज़िंदगी। 

छाॅंव-धूप सी, आग-पानी सी और बारिश में इंद्रधनुषी सी, 
कभी प्यारी सी लगे है जिं़दगी, तो कभी अनबुझ पहेली सी।

नन्हें करों से चलते-चलते, कदमों पर चल पड़ी यूॅं जिं़दगी,
चार पहर कब लम्हों ,दिनों, वर्षों में तबदील हो गई जिं़दगी। 

सपनें दिखाती, उड़ना भी सिखाती, दूर कर देती है जिं़दगी,
पल पल का हिसाब है रखती, जाने कब छल गई जिं़दगी।

वादा किया था उम्र भर का, क्यूॅ रुसवा कर गई तू जिं़दगी,
मझधार में लाकर हाथ है छोड़ा, ख़ता तो मेरी बता जिं़दगी। 
😊😊

                                ............................. अर्चना सिंह‘जया’

Friday, February 15, 2019

शत् शत् नमन

🙏🙏
गगन भी झुका है जिसके सज़दे,
धरा भी रो रही है जिनके वास्ते,
जन जन की हो गई आँंखें नम,
वतन के शहीदों को पुष्प नमन ।💐💐
         
              ..... अर्चना सिंह जया
🙏🇮🇳🙏
अब तो जागो देश के जवानों,
राष्ट् की खातिर एक हो जाओ।
ध्वजा का मान तुम्हें है रखना,
आवाज़ बुलंद कर आगे आओ।
साँसें न जाए ,उनकी खाली
जिन्होंने अपनी प्राण है गँवाई।
🙏🇮🇳🙏

🙏🙏
सतकर्म कर जीवन किया जिसने समर्पित,
उन्हीं के मार्ग पर चल, उन्हें करना है गर्वित।
माता -पिता व राष्ट् का मान बढ़ाया जिसने,
कर जोड़, शीश नमन उन्हें करना है हमने।
वतन को रहेगा सदैव ही उन पर अभिमान ,
बच्चे ही नहीं बड़े भी उन्हें करते हैं सलाम।
🙏🇮🇳🇮🇳🙏
                         ....अर्चना सिंह 'जया'

Tuesday, January 1, 2019

Happy New Year 😊

नव वर्ष का आगमन ( कविता )

                    
गुजरे कल को कर शीश नमन,
मधुर मुस्कानों से हो नववर्ष का आगमन।
         वसंत के आगमन से पिहु बोल उठा,
         फिर से महकेगा वसुधा और गगन ,
          मन दर्पण-सा खिल उठेगा सबका,
         नूतन पुष्पों व पल्लव से सजेगा चमन।
गुजरे कल को कर शीश नमन,
           चारों तरफ सुगंधित मंद पवन हो,
           झुरमुट लताओं में कलरव हो,
           आँगन में गूँजती किलकारी हो,
           युवकों के मन में विश्वास प्रबल हो।
गुजरे कल को कर शीश नमन,
          रिश्तों में अटूट प्रेम का हो बंधन,
           घरों में पनप उठे महकता उपवन,
           अब समाज में हो जाए नव मंथन,
          वसुंधरा में गूँजे सत्यं, शिवम् ,सुंदरम्।
गुजरे कल को कर शीश नमन,
         नई उम्मीद,नया सवेरा से सजे वतन
         आशाओं को संजोएॅं,निराशा का हो पतन,
         मोमबत्ती  को थामें बढ़े चलें ,क्यों न हम?
         नूतन वर्ष को सुसज्जित कर,दूर करें तम।
  गुजरे कल को कर शीश नमन,
 मधुर मुस्कानों से हो नववर्ष का आगमन।                      

                                   अर्चना सिंह‘जया’

Monday, November 12, 2018

POEM --- चलो सूर्योपासना कर लें

चलो सूर्योपासना कर लें

         
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
अनुपम लोकपर्व फिर मना कर,
कार्तिक शुक्ल षष्ठी का व्रत कर,
लोक आस्था को जागृत कर लें।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
     सूर्योदय व सूर्यास्त के पल हम,
     जल अर्पण कर शीश झुकाएॅं,
     सुख-समृद्धि,मनोवांछित फल पाएॅं,
     घर से लेकर घाट जब जाएॅं,
     भक्तिगीत समर्पित कर आएॅं।
     चलो सूर्योपासना कर लें,
     छठी मईया की आराधना कर लें।
निर्जला  व्रत कठिन है करना
खीर ग्रहण कर मनाएॅं ‘खरना’।
कद्दू-चावल प्रसाद ग्रहण कर,
व्रत आरंभ करते श्रद्धालु जन,
पावन पर्व का संकल्प ले कर।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
      डाल दीप,फल,फूलों से सजाकर,
      संध्या अर्घ्य  व उषा अर्घ्य अर्पित कर,
      चार दिवसीय यह पर्व मनाकर ,
      निष्ठा-श्रद्धा से जो कर लो इसको
      घाट दीपावली-सा सज जाता फिर तो।
      चलो सूर्योपासना कर लें,
      छठी मईया की आराधना कर लें।

                            अर्चना सिंह जया