नव वर्ष का आगमन ( कविता )
गुजरे कल को कर शीश नमन,
मधुर मुस्कानों से हो नववर्ष का आगमन।
वसंत के आगमन से पिहु बोल उठा,
फिर से महकेगा वसुधा और गगन ,
मन दर्पण-सा खिल उठेगा सबका,
नूतन पुष्पों व पल्लव से सजेगा चमन।
गुजरे कल को कर शीश नमन,
चारों तरफ सुगंधित मंद पवन हो,
झुरमुट लताओं में कलरव हो,
आँगन में गूँजती किलकारी हो,
युवकों के मन में विश्वास प्रबल हो।
गुजरे कल को कर शीश नमन,
रिश्तों में अटूट प्रेम का हो बंधन,
घरों में पनप उठे महकता उपवन,
अब समाज में हो जाए नव मंथन,
वसुंधरा में गूँजे सत्यं, शिवम् ,सुंदरम्।
गुजरे कल को कर शीश नमन,
नई उम्मीद,नया सवेरा से सजे वतन
आशाओं को संजोएॅं,निराशा का हो पतन,
मोमबत्ती को थामें बढ़े चलें ,क्यों न हम?
नूतन वर्ष को सुसज्जित कर,दूर करें तम।
गुजरे कल को कर शीश नमन,
मधुर मुस्कानों से हो नववर्ष का आगमन।
अर्चना सिंह‘जया’
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