Saturday, November 9, 2019

गांधीगिरी पर कहानी


 Gandhigiri 😊💐
Stories Only in100 words

 एक शाम मेरी नज़र झुग्गी के बेबस महिला पर पड़ी जिसका पति उसे मार रहा था। मैं बचाव करने पहुँची, और लोग भी एकत्रित हो गए । मैंने उसके पति से पूछा कि किस कारण इसे मार रहे हो । महिला ने कहा, मैडम ये मेरे बच्ची को पढ़ने जाने नहीं देना चाहता है, फीस के पैसे से जुआ खेलता है। फिर मैंने डाँट लगाते हुए कहा कि थाने में मैं तुम्हारी शिकायत दर्ज करा दूँगी। मैंने मोबाइल में उसकी तस्वीर ली, ताकि पति के मन में डर घर कर जाए। उसने पैर पकड़ लिए और माफी माँगी। वहीं खड़ी सहेली ने हँसते हुए कहा, वाह! तुम्हारी गाँधीगिरी तो चल पड़ी।
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बस में बैठे युवक ने केले के छिलके को बस से बाहर फेंका। वहीं बारह वर्ष के एक बालक ने उस छिलके को उठा लिया। बस वाले युवक ने बाहर निकल कर फिर एक छिलके को नीचे गिरा दिया। उस बालक ने फिर से उठाया। नवयुवक ने स्टाप पर मेरे बगल में स्थान ग्रहण करने से पूर्व उस बालक को एक केला खाने को दिया, बालक ने केले को छीलकर उस युवक के करीब फेंक दिया और खाने लगा। युवक ने क्रोध में कहा कि यहाँ क्यों फेंक रहे हो, कूड़ेदान में क्यों नहीं डालते? तभी मैं तपाक् से बोल पड़ी कि फिर आपने नीचे क्यों फेंका? सर्वप्रथम खुद को बदलिए, महाशय।


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