बरखा की बूंदों में,
शीतल पवन के झोंंकों में,
बादलों के घेरों में,
कोयल के गीतों में,
सावन मन भावन है।
अमिया के झूलों पे,
नदियों के उफान पे,
खेतों की हरियाली पे,
मेहंदी हथेली पे,
सावन मन भावन है।
सखियों की टोली संग,
धानी चुनरी के संग,
खनकती चूड़ियों संग,
छतरी हमजोली संग,
सावन मन भावन है।
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