Friday, February 3, 2017

ये हैं नेता कल के


किसे चुने हम अपना नेता?
जो बदल सके है देश,
कोई कंश, कोई शकुनी
कोई बनाए है धृतराष्ट् का वेश।
मत का दंगल देखो है छिड़ा
बेटा भी न रहा बाप का।
स्वार्थ के रंग में डूब गए सब
बदला है देखो रंग लहू का।
विरोधी दलों पर कटुवचनों का
तनिक न थकते, करते प्रहार।
लगता नहीं इसी देश के हैं,
सत्ता के नाम,पी गए संस्कार।
ऊॅंट न जाने किस करवट बैठे?
गठबंधन न जाने कब टूटे?
डाकू जन स्वतंत्र यहाॅं हैं
सुभाष, बोस से नेता कहाॅं हैं?
हाथ जोड,साइकिल को थाम़
नेता हैं अभिनेता से आगे।
सत्ता की चाह में ‘बहरुपिया’बन
निकल पड़े हैं भीख माॅंगने।
लज्जा नहीं आती है इनको
वोट की तुलना बेटी से करते।
नेता वो है खुद को कहलाते
सत्ता की चाह में कीर्ति गान करते।
लोकतंत्र का लाभ उठाकर
बे फिज़ूल की बातें करतें।
देश का विकास ये क्या करेंगे?
जो बन गए ये नेता हैं कल के।
                      .................अर्चना सिंह जया
3 February, Rashtriya Sahara Paper...page-8, published.






No comments:

Post a Comment

Comment here