भावांजलि

सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।

Friday, October 9, 2020

मेरा मन १

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मेरा मन, व्यथित होकर रोता है, अपने ही अंतर्द्वंद्व से नित जूझता रहता है। जाए कहां वह सोचता, शांति है किस एकांतवास में, दीवारों पर सिर पीटता ...
Monday, September 28, 2020

तुम्हारा प्रस्ताव स्वीकार है

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मुझे तुम्हारा प्रस्ताव स्वीकार है, फिर भी तुम्हें न जाने क्यूं अपनी मोहब्बत से इंकार है। न चाहते हुए भी स्वदेश से हुई दूर ।  जिंदगी दी थी जि...
Saturday, September 26, 2020

मोबाइल - विषय

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 मानव निर्मित यंत्र है ये कैसा,  जीवन परिवर्तित हुआ कुछ ऐसा।  स्वतंत्र हुआ करता था जो,  मनुष्य उसी के आधीन हो गया।  चारों पहर उसी में है खोए...
Friday, September 25, 2020

प्रार्थना

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          प्रार्थना विधा- सायली छंद ✍️🙏✍️🌸 हे नारायण लक्ष्मीपति शरण दो हमको, दया करो दीनानाथ। विश्व पर आई  विपदा घोर भारी, नहीं सूझे राह। ...
Thursday, September 10, 2020

किसको जिम्मेदार कहोगे?

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कल भी औरों को दोष देते थे, आज भी दोष मढ़ोगे। यथार्थ को जो बूझोगे, किसको जिम्मेदार कहोगे? क्या वक्त को जिम्मेदार कहोगे?  प्रतिदिन प्रयास करना...
Friday, August 21, 2020

श्री गणेशाय नमो नमः

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गौरी नंदन, जय जग वंदन श्री गणेशाय नमो नमः। विघ्नहर्ता, गणपति बप्पा श्री गणेशाय नमो नमः। शंकर सुवन, पार्वती नंदन मात पिता की करके भक्ति जगत प...
Tuesday, August 11, 2020

जय बोलो गोपाल की

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जय गोपाला, जय नंदलाला जयबोलो घनश्याम की। जय बृजमोहन, जय यशोदा नंदन जय बोलो राधे श्याम की। हाथी घोड़ा पालकी, जय बोलो गोपाल की। जय मधुसूदन, जय...
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