भावांजलि

सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।

Thursday, May 15, 2025

आप्रेशन सिंदूर पर कविता वर्तमान परिस्थितियों को व्यक्त करती हुई।

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आतंकवादियों को ललकारने, दहशत दिल में जगाने आया 'आप्रेशन सिंदूर'। मां-बहन-बहुओं के आंसुओं का मान रख, हुंकार लगाने लो आ गया 'आप्रे...
Monday, August 26, 2024

चयनित रचनाएं

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Sunday, August 25, 2024

कैसी दरिंदगी

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मानव होकर मानवता को करते शर्मसार, हैवानियत दिखती तुम सब की आंखों में, चेहरे पर मुखौटे पहने घूमते हैं दरिंदे सरेआम।  कब तक छुपकर बैठे बेटी-बह...
Tuesday, August 20, 2024

अंधकार. में अंतर्मन

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वेदनाओं के भँवर में घिरता जाता है मन, गहन अंधकार में खोने लगता अंतर्मन। क्या करूँगी जन्म लेकर इस समाज में, कोई देखना ही नहीं चाहता मेरा मन द...
Friday, February 23, 2024

Poem on Valentines day

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 मोहब्बत की राह https://www.zorbabooks.com/spotlight/archanasingh601gmail-com/poem/%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b9%e0%a4%ac%e0%a5%8d%e0%a4%ac%e0...
Tuesday, January 23, 2024

दिल्ली की सर्दी

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दिल्ली दिल वालों की है जनाब, चाहे कोहरे बिछे हों राह  सड़क किनारे टिक्की-चाट,कुल्फी आइसक्रीम लेकर हाथ। शीतल पवन तन-मन को छूती, सर्दी का करात...

मंगल गीत गाओ

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गाओ री मंगल गीत सखि,                                                    आया राम महोत्सव, ढ़ोल-मंजीरे लाओ री सखि।                          जय...
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