भावांजलि

सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।

Wednesday, July 29, 2020

कविता

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✍️😃 उन्नीस बीस का अंतर इस वर्ष ने अच्छे से समझाया। छोटे बड़े झटके रह रह जीवन को महसूस है कराया। 🙏🌸 कुछ नहीं रखा है 'मैं' म...
Tuesday, July 28, 2020

Tum kahan ja rahe ho

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https://twitter.com/zorbabooks/status/1287645655645728769?s=20 For this poem, (in 50 words) तुम कहां जा रहे हो? ✍🏻 कुछ दूर ही चला था, कि का...
Thursday, July 23, 2020

सावन मन भावन

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सावन मन भावन है। बरखा की बूंदों में, शीतल पवन के झोंंकों में, बादलों के घेरों में, कोयल के गीतों में, सावन मन भावन है। अमिया के झूलों पे, नद...
Thursday, July 16, 2020

मुझे यकीन है - कविता

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                   कविता                          मुझे यकीन है मुझे यकीन है तुम इक दिन समझोगे। जब आॅंखें कमज़ोर हो जाएॅंगी, मन का कोना खाल...
Wednesday, July 15, 2020

सुन री सखी

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अंतर्मन के द्वंद्व से हरदिन लड़ रही हूं री सखी। का से कहूं पीड़ा मन की बस इसी उलझन में हूं। टीस सी उठती रह रह, हिय छलनी है हो रहा। अश...
Tuesday, July 14, 2020

अदृश्य नायक

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मैं अदृश्य मुझे देखा नहीं, मुझे छुआ नहीं, नायक बन बैठा मैं। नायक नहीं खलनायक, ऐसा कहने लगे हैं हमें। नामकरण भी कर दिया, 'कोरोना...
Tuesday, June 16, 2020

खुद की खुशी

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मायानगरी है ये दुनिया ही नकाब पहना है सबने यहां। उम्दा कलाकार हैं हमसभी सच से चुराकर आंखें देखो, कृत्रिम जीवनशैली को समझ बैठे हैं वास...
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