कविता
मुझे यकीन है
मुझे यकीन है
तुम इक दिन समझोगे।मुझे यकीन है
मुझे यकीन है
जब आॅंखें कमज़ोर हो जाएॅंगी,
मन का कोना खाली हो जाएगा,
आॅंगन भी सूना हो कोसेगा,
दीवारों में दरारें दिखेंगी,
मुस्कान मेरी तुम खोजोगे।
मुझे यकीन है
तुम इक दिन समझोगे।
गुजरा वक्त याद आएगा,
तन्हा पहर भी ढल जाएगा,
गुलाबी शाम फिर रुलाएगी,
बस धुॅंधली होंगी यादें पुरानी,
आॅंसुओं से होंगी पलकें गीलीं।
मुझे यकीन है।
तुम इक दिन समझोगे,
पुरानी तस्वीरों में ढूॅंढोगे,
रंगोली के रंगों में खोजोगे,
गलियारों सड़को पर
तन्हाॅं गुम हो भटकोगे।
भीड़ में भी रहोगे अकेला
फिर मेरी मोहब्बत को तरसोगे।
मुझे यकीन है।
........ अर्चना सिंह जया
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