Tuesday, July 28, 2020

Tum kahan ja rahe ho

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For this poem, (in 50 words)

तुम कहां जा रहे हो?
✍🏻
कुछ दूर ही चला था,
कि काफ़िर नज़रों ने पूछा।
तुम कहां जा रहे हो?
मुस्करा कर कहा,
तंग हैं गलियां यहां,
सोच भी है कुंठित।
हीन हो रही मानसिकता,
मानव हो गया विक्षिप्त।
बेबस हो जीने से अच्छा,
गंतव्य हो और कहीं।
नई सोच, सफ़र नया
प्रश्न न करना फिर कभी।
      .... अर्चना सिंह जया

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