भावांजलि

सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।

Friday, September 23, 2022

उम्मीद की लौ

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जीवन में हो तमस घना, तो उम्मीद की लौ जला लेना। निराशा के तम को कभी ना, दिल का कोई कोना देना आशा-उम्मीद के दीपक से कठिन राह जगमग कर लेना। हिय...
Tuesday, August 30, 2022

न्याय की गुहार

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ये मशाल बुझ न जाए, दिलों में उठते सवाल थम ना जाए। निर्भया की अन्तरात्मा को  किया तार-तार जिसने,कानून के बंधन से कहीं वो मुक्त ना हो जाए। वेद...
Sunday, May 8, 2022

मां

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 मां ऐसी होती है। अपने अश्रु को छुपा, सदा मुस्कान बिखेरती है। अपने सपनों को दफना कर बच्चों को स्वप्न पर देती है। मां ऐसी होती है। अपनी थाली ...
Wednesday, January 5, 2022

चयनित रचनाएँ

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 मेरी चयनित, स्वरचित और मौलिक रचनाएँ आपके समक्ष ✍🙂🙏

चयनित रचना

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 Meri Selected Rachna🙏🙂✍ मेरी चयनित, स्वरचित और मौलिक रचनाएँ आपके समक्ष।  
Wednesday, December 29, 2021

मैं और मेरी चाय

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                 " मैं और मेरी चाय "☕ मैं और मेरी चाय आपस में अक्सर ये बातें करती हैं, तन्हाई में सवाल, मुझसे पूछा करती है। मैं नह...
Thursday, September 2, 2021

मैं तुम्हें फिर मिलूँगी

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      " मैं तुम्हें फिर मिलूँगी " मुझे है यकीन ,मैं तुम्हें फिर मिलूँगी। अगले जनम में ही सही माँ, तेरी कोख से ही जन्मूँगी। माना कि...
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