भावांजलि

सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।

Wednesday, December 29, 2021

मैं और मेरी चाय

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                 " मैं और मेरी चाय "☕ मैं और मेरी चाय आपस में अक्सर ये बातें करती हैं, तन्हाई में सवाल, मुझसे पूछा करती है। मैं नह...
Thursday, September 2, 2021

मैं तुम्हें फिर मिलूँगी

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      " मैं तुम्हें फिर मिलूँगी " मुझे है यकीन ,मैं तुम्हें फिर मिलूँगी। अगले जनम में ही सही माँ, तेरी कोख से ही जन्मूँगी। माना कि...
Wednesday, May 26, 2021

वो आखिरी सफ़र कविता

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वो आखिरी सफ़र... नहीं कुछ अपना है जहां, जुटाने में निकल गई जिंदगी वहां।  हर इक लम्हा कुछ धूप-छांव सा, सुख दुःख संग गुजरता गया कारवां। वो आखि...
Tuesday, March 16, 2021

पश्चाताप कहानी

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  "पश्चाताप" कहानी प्रकाशित हो चुकी है।😊 https://www.ekalpana.net/post/archanasinghmarch2021story मेरी स्वरचित व मौलिक रचना जिसे...
Monday, March 8, 2021

नारी तू सशक्त है - कविता

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      " नारी तू सशक्त है" नारी तू सशक्त है, बताने की न तो आवश्यकता है, न विचार विमर्श की है गुंजाइश। निर्बल तो वह स्वयं है, जो तेर...
Thursday, February 4, 2021

खुद को कहते किसान

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 किसान की रैली क्यों शर्मसार कर गई , हिंसा को बढ़ावा देकर तलवार हाथ में थाम, लोकतंत्र की आड़ में ऐतिहासिक कहानी लिख गई। लाल किले के दामन पर ...
Wednesday, February 3, 2021

दहेज प्रथा

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दहेज रूपी 'सुरसा' देखो मुख खोले है बैठा, न लज्जा,न ग्लानि, न हृदय में है कोमलता। दान-उपहार शोभा थी, त्रेता युग में जिसकी नैतिकता-पवि...
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