भावांजलि

सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।

Thursday, November 14, 2019

सुहाना बचपन

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 😊🎈🎶🎉🍭🎉 मुट्ठी खोल,समेट लो बचपन कहीं खो न जाए अलहड़पन। चंचल ,चंदन सा चितवन मासूम होता है बाल मन। आज और कल याद रहे सदा, हमारा, त...
Saturday, November 9, 2019

मंथन

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अयोध्या की भूमि का होने को है मंथन आज। उच्च विचारों से प्राप्त होने को है प्रेम बंधन साज़। राम रहीम सब एक हैं ईश खुदा का करो अभिनंदन। ...

गांधीगिरी पर कहानी

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 Gandhigiri 😊💐 Stories Only in100 words  एक शाम मेरी नज़र झुग्गी के बेबस महिला पर पड़ी जिसका पति उसे मार रहा था। मैं बचाव करने पहुँची, ...
Monday, October 28, 2019

पर्व है दीपों का

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      पर्व है दीपों का दिवाली की अगली भोर , देख मैं रह गया भौंचक्का। बालकनी के कोने में, सहमा कपोत मैंने देखा। रात्रि के अंधिया...
Thursday, October 17, 2019

मैंने क्या किया ?

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मैंने किया क्या ? सच तो है आज उम्र के इस पड़ाव पर पूछा गया है प्रश्न तुमने किया क्या? एक घर को छोड़ आई नए मकान को घर बनाई। और मैंने ...
Saturday, October 12, 2019

मेरा बचपन ( बाल कविता )

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कहाँ गया वह? भोला बचपन। कागज़ की कश्ती से ही खुश हो जाया करते थे हम। मिट्टी के गुड्डे गुड़ियों संग, सदा खेला करते थे हम। कहाँ गया वह? ...
Wednesday, October 2, 2019

भावपूर्ण श्रद्धांजलि

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हाड़ मॉंस का इंसान ( कविता )   हाड़   मॉंस   का   था   वो   इंसान , रौशन   जिसके   कर्म   से   है   जहान। प्रतिभा - निष्ठा  ...
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