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मुट्ठी खोल,समेट लो बचपन
कहीं खो न जाए अलहड़पन।
चंचल ,चंदन सा चितवन
मासूम होता है बाल मन।
आज और कल याद रहे सदा,
हमारा, तुम्हारा, सबका बालपन।
आज का दिन, खुशियाँ है लाया
'बाल दिवस' हमने भी है मनाया।
गुब्बारे,टाफी,बिस्किट मन भाया
जीवन में बचपन को अपनाया ।
गीत, संगीत और कोलाहल से
हमने आज व्यवहार है सजाया।
अपने बच्चों संग बच्चा बन,
घर बाहर यूँ है धूम मचाया।
सुहाना बचपन जैसे लौटकर
आज हमारे आँगन हो आया।
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