भावांजलि

सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।

Sunday, September 22, 2019

हे मानव

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अंधियारे से सीख, हे मानव जीवन इतना भी सरल नहीं जो अब भी न सीख सका तो खो कर पाने का अर्थ नहीं। धन, मकान,अहम् धरा रहेगा जाएगा कुछ तेरे स...
Saturday, September 14, 2019

हिन्दी दिवस .

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हिन्दी हैं हम (कविता ) देवनागरी लिपि है हम सब का अभिमान, हिन्दी भाषी का आगे बढ़कर करो सम्मान।  बंद दीवारों में ही न करना इस...
Thursday, September 12, 2019

तुझी से

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तुझ से हैं साँसे मेरी तुझ से है ज़मीं आसमाँ। तुझ से है दिन रौशन तुझ से ही है रातें जवाँ। तुझ से है महकती शाम तुझ से सजते हैं अरमाँ। गी...
Thursday, September 5, 2019

नमन है श्रद्धा सुमन

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नमन है श्रद्धा सुमन (कविता) सतकर्म कर जीवन किया है जिसने समर्पित, उन्हीं के मार्ग पर चल, उन्हें करना है गर्वित। माता -पिता व गुरुज...
Sunday, August 25, 2019

गज़ल

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न तलाशा करो ,सामानों में उनके निशाँ। जख्म गहरें है दिलों पे, खोजो न यहाँ वहाँ।  दूरियों की कसक बढ़ती जाती है हर लम्हाँ दिन खामोश सी और ...
Saturday, August 24, 2019

जय हो नंदलाल

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जय ,जय हो नंद लाल देवकी ने जन्म दिया, यशोदा ने लाड प्यार। पूतना का कर संहार, गोपाला ने भरी मुस्कान। जय, जय हो नंद लाल गेंद यमुना मे...
Tuesday, August 20, 2019

कुदरत की पुकार

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कुदरत की हाहाकार सुन,मन कुछ विचलित हो चला। भूल कहाँ हो गई? हमसे,ये प्रश्न मन में है फिर उठा। वक्त रहते सम्भल जा तू,करुण रुदन है प्रकृति क...
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