भावांजलि

सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।

Sunday, August 25, 2019

गज़ल

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न तलाशा करो ,सामानों में उनके निशाँ। जख्म गहरें है दिलों पे, खोजो न यहाँ वहाँ।  दूरियों की कसक बढ़ती जाती है हर लम्हाँ दिन खामोश सी और ...
Saturday, August 24, 2019

जय हो नंदलाल

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जय ,जय हो नंद लाल देवकी ने जन्म दिया, यशोदा ने लाड प्यार। पूतना का कर संहार, गोपाला ने भरी मुस्कान। जय, जय हो नंद लाल गेंद यमुना मे...
Tuesday, August 20, 2019

कुदरत की पुकार

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कुदरत की हाहाकार सुन,मन कुछ विचलित हो चला। भूल कहाँ हो गई? हमसे,ये प्रश्न मन में है फिर उठा। वक्त रहते सम्भल जा तू,करुण रुदन है प्रकृति क...
Thursday, August 1, 2019

कहर में जि़ंदगी

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       कहर में ज़िंंदगी जल कहर में फंसी ज़िंंदगी , कुदरत के आगे बेबस हो रहे बच्चे, बूढ़े व जवान सभी। इंसान के मध्य तो शत्रुता देखी, पर यह कैसी...
Friday, June 21, 2019

Dayaa ka Dwaar' story

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'Gate of Mercy' name in English. Translated by Archana Singh jaya. You can order here 👇 https://www.amazon.in/gp/off...

योग दिवस par Kavita

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योग से प्रारम्भ कर प्रथम पहर (कविता)  योग को शामिल कर जीवन में  स्वस्थ शरीर की कामना कर।  जीने की कला छुपी है इसमें,  चित प्...
Thursday, June 6, 2019

सुप्रभात

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कोयल की कूक सुबह सुनाई दे गई, मन में सोए अहसास फिर जगा गई । छू कर तन को,पवन जब गुजरती है, कोई ख़लिश सी मन में फिर जगती है। अमिया की टहनी...
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