भावांजलि

सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।

Monday, November 20, 2017

बेटी का जन्म ( कविता )

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बेटी का जन्म ( कविता )    न जाने मुझे ये कैसा भ्रम हुआ ? गॉंव घरों में बॅंटते देख लड्डू मैंने पूछा,‘आज कैसा शगुन हुआ?’ हॉं,‘आज...
Tuesday, November 14, 2017

बाल दिवस [ कविता ]

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बाल दिवस कुछ यूॅं मनाएॅं  बच्चों के संग बच्चे बनकर, अपना खोया बचपन पाएॅं। टाॅफी ,गुब्बारे ,पतंग संग बीते पल को वापस लाएॅं। बाल दिवस क...
Monday, November 6, 2017

मतदान से पूर्व करना विचार. { कविता }

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मतदान से पूर्व करना विचार [ कविता ] चलो बनाए नई सरकार ज्ञान का जलाएॅं ,फिर मशाल। अशिक्षा, गरीबी और भ्रष्टाचार दूर करने पर जो करे व...
Thursday, November 2, 2017

ANTARAA

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Hindi Book Free available in Women Stories Essays Book category. Author Archana Singh has written Antaraa part 1,2 &3 in Hindi for fr...
Thursday, October 26, 2017

चलो सूर्योपासना कर लें

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          चलो सूर्योपासना कर लें, छठी मईया की आराधना कर लें। अनुपम लोकपर्व फिर मना कर, कार्तिक शुक्ल षष्ठी का व्रत कर, लोक आस्था को ज...
Saturday, October 21, 2017

दिवाली [ कविता ]

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    दिवाली की रात है आई, खुशियों से दामन भरने / अज्ञानता के तम को दूर भगा, ज्ञान के दीप को प्रज्ज्वलित करने। पटाखों की धुॅंध से न होने...
Wednesday, October 18, 2017

Archana Singh Book | antara | Women Stories Essays Book in Hindi

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Archana Singh Book | antara |  part 1 & 2 Women Stories Essays Book in Hindi
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