Thursday, April 30, 2020

निःशब्द

🙏
जाने -अनजाने में गुनाह कर बैठे हैं शायद,
वरना सज़ा का हकदार यूँ हर कोई न होता।
  💐🙏                   
कल निःशब्द था मैं,आज भी निःशब्द है इंसान
दुःख की इस घड़ी में स्तब्ध खड़ा है हिन्दुस्तान।
🙏☺️

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