सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।
Thursday, April 30, 2020
निःशब्द
🙏
जाने -अनजाने में गुनाह कर बैठे हैं शायद,
वरना सज़ा का हकदार यूँ हर कोई न होता।
💐🙏
कल निःशब्द था मैं,आज भी निःशब्द है इंसान
दुःख की इस घड़ी में स्तब्ध खड़ा है हिन्दुस्तान।
🙏☺️
जाने -अनजाने में गुनाह कर बैठे हैं शायद,
वरना सज़ा का हकदार यूँ हर कोई न होता।
💐🙏
कल निःशब्द था मैं,आज भी निःशब्द है इंसान
दुःख की इस घड़ी में स्तब्ध खड़ा है हिन्दुस्तान।
🙏☺️
Wednesday, April 29, 2020
सांंसों की गिनती
वक्त के साथ साथ ही,
लम्हों की गिनती कम होने लगी।
मंजिल से पहले ही यहाँ
राह लम्बी, धुंधली सी लगने लगी।
क्या जाने कब धूल,
दिल दर्पण पर गहरे होते गए।
अपने ही चेहरे आइने में
क्यों अपरिचित से लगने लगे?
मन को आशा थी चाहत की,
आँधियों में भी चिराग जलाए रखे।
बहते आँसुओं की दाँसता,
मन के कोने में ही दफ़नाए रखे।
साँसों की डोर से पहले
रिश्तों की डोर कमजोर होने लगी।
जिंदगी से पहले यहां,
सांसों की गिनती कम होने लगी।
Saturday, April 25, 2020
जीतेंगे कल
विश्वास का दीप जलाता चल
आशा के पर से उड़ान भर।
नव सूर्य उदय होगा फिर कल
मन के तम को हराता चल।
जो आज है बन जाएगा कल
कठिन हो या हो चाहे सरल।
वक्त कभी न ठहरा है पलभर
फिर गम न कर यूँ रह रहकर।
धैर्य,प्रेम,परोपकार,विवेक से
हारेगा कोरोना,जीतेंगे हम कल।
आशा के पर से उड़ान भर।
नव सूर्य उदय होगा फिर कल
मन के तम को हराता चल।
जो आज है बन जाएगा कल
कठिन हो या हो चाहे सरल।
वक्त कभी न ठहरा है पलभर
फिर गम न कर यूँ रह रहकर।
धैर्य,प्रेम,परोपकार,विवेक से
हारेगा कोरोना,जीतेंगे हम कल।
Friday, April 10, 2020
कैसा संदेश
लाकडाउन है हर
गाँव-शहर डगर।
ऐसे में प्रातः
सुनाई दे गया,
काक का स्वर
न जाने देता है प्रतिदिन
हमें कैसा संदेश?
किस आगंतुक की
है सूचना दे रहा?
'कोरोना' भय या कोई
खुशी का संकेत।
नित सवेरे सन्नाटे में
पक्षियों का स्वर
स्पष्ट है सुनाई दे रहा।
स्वतंत्र होकर पक्षीवृंद
इक संदेश हैं दे रहे,
झकझोर कर कह रहे।
महसूस कर हे मानव!
स्वर्ण पिंजर का दर्द।
दीवारें हों जैसी भी
ईंट या लोहे की होंं,
या हो कुंठित विचारों की
हृदय की टीस समान
चाहे वो जीव हो कोई भी।
Friday, April 3, 2020
मैं दीप
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
तम को दूर कर,
मन में विश्वास भर।
औरों के जीवन को
प्रकाशित हूँ करती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
ना मैं मुश्लिम,ना हिन्दू
मैं आशा को
प्रज्ज्वलित करती।
उल्लास लिए,
जन-जन में
चेतना भरती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
जब अंधकार हो
चहुँ ओर घना,
तब प्रकाश का
चादर फैलाकर
दामन में हूँ लेती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
मैं रोशनी हूँ।
तम को दूर कर,
मन में विश्वास भर।
औरों के जीवन को
प्रकाशित हूँ करती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
ना मैं मुश्लिम,ना हिन्दू
मैं आशा को
प्रज्ज्वलित करती।
उल्लास लिए,
जन-जन में
चेतना भरती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
जब अंधकार हो
चहुँ ओर घना,
तब प्रकाश का
चादर फैलाकर
दामन में हूँ लेती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
Thursday, April 2, 2020
सुप्रभात 🙏
🙏😊
आओ करें प्रातः सूर्य नमन,
फिर करें कोरोना का दमन।
योग-वंदन कर बढ़ाएँ कदम,
संकल्प, संयम से जीतेंंगे हम।
#सुप्रभात 😊
ना होना मायूस कभी भी,
रुकती नहीं है जिंदगी यहाँ।
कर सको तो करो मोहब्बत,
करो ना कभी नफ़रत यहाँ।
वक्त पर भी कुछ छोड़ा करो
करता है सही फैसला यहाँ।
रिश्तों की डोर गर थाम लो
हरपल गुज़रेगा हँसकर यहाँ।
😊