Tuesday, February 21, 2017

उत्तर प्रदेश की राजनीति पर व्यंग्य

                         आखिर किसका विकास...?
मैं वह उत्तर प्रदेश हूॅं भाई। जहाॅं वर्षों से परम्परा कायम है ‘सबका साथ,सबका विकास’ न हमने होने दिया है न होने देंगे। क्यों बाहर के लोग बदलने को तुले हैं जब जनता जनार्दन इसी में खुश हैं। ऐसा मुझे लगता है शायद नाखुश भी हों। पर हमें क्या लेना-देना जन-जन की खुशी से। हम पूर्वजों की परम्परा यूॅं ही नहीं खोने देंगे,सबका यानि परिवार के सदस्यों पिता, बेटी ,बहुओं, बेटों, चाचा, भतीजा सभी का विकास करेंगे। देश से पूर्व शुरुआत घर से ही तो करेंगे,अंग्रेजी में भी तो ऐसी ही कहावत कहते हैं न.....। देश की फिर सोचेंगे जल्दी किस बात की ? पहले लैपटाॅप, कूकर, वाईफाई.....देकर मन तो बदल दें, सत्ता में आकर बिजली, पानी, कारखानों की सोचेंगे। पंजाब, बिहार, तमिलनाडु भी हमारे ही पथ पर अग्रसर हो रहे हैं। इलाहाबाद से जन्मी इस परम्परा से हाथ मिला मजबूत बनाएॅंगे। एक एक कदम परिवार के हित में उठाएॅंगे। आने वाली पीढ़ी जिसे याद रखे ऐसा उत्तर प्रदेश बनाएॅंगे। भाइ्रयों व बहनो अब तो आप के सहयोग की आशा है कि आप कैसा राज्य बनाएॅंगे ?

                                                                                               अर्चना सिंह जया
In Rashtriya Sahara Paper, page 9.
                                                 
       

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