गुरुजन हैं मंदिर समान
शिक्षक को शत-शत प्रणाम,
ज्ञान की वे नित ज्योति जलाते
उज्ज्वल हमारा भविष्य बनाते।
सत्य, प्रेम का पाठ पढ़ाते
सदा सन्मार्ग की राह दिखाते,
नेहरु,गॉंधी, वीर सुभाष
जैसा बनना हमें सिखाते।
कहते विद्या धन है सागर समान
बढ़ती ही जाए जो करो तुम दान
विद्या का करके तुम सम्मान
बढ़ाओ माता पिता व ,
गुरुजन का मान ।
-------अर्चना सिंह
03 सितम्बर 2005 राष्ट्रीय सहारा,‘बाल उमंग’ पृष्ठ पर प्रकाशित हो चुकी है ।
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