Monday, November 6, 2017

मतदान से पूर्व करना विचार. { कविता }

मतदान से पूर्व करना विचार [ कविता ]


चलो बनाए नई सरकार
ज्ञान का जलाएॅं ,फिर मशाल।
अशिक्षा, गरीबी और भ्रष्टाचार
दूर करने पर जो करे विचार।

स्त्री सुरक्षा व बेरोजगारी
प्राथमिकता अब है हमारी।
जन-जन का हो सके कल्याण
नेता चुने कर उचित मतदान।

सत्तर वर्षों का लगा अनुमान
क्या उचित करते आए मतदान ?
सोचा शत प्रतिशत होगा उद्धार
पर स्वप्न,जन का न हुआ साकार।

जागो उठो,वक्त से पूर्व करो विचार 
व्यर्थ न करना निज अधिकार।
जो हो वचन व कर्म का सच्चा
ऐसा चुनाव हमें करना है इस बार।

वसुधा को जो कुटुंब बना सके
बहुमत से जीते वो सरकार।
गतवर्षों के गतिविधि को देख
मतदान से पूर्व करना विचार।

                          ..................अर्चना सिंह जया

Thursday, November 2, 2017

ANTARAA



Hindi Book Free available in Women Stories Essays Book category. Author Archana Singh has written Antaraa part 1,2 &3 in Hindi for free download and read online only on Matrubharti web and Mobile  App.

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ANTARAA  part 1,2 &3

Thursday, October 26, 2017

चलो सूर्योपासना कर लें


         
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
अनुपम लोकपर्व फिर मना कर,
कार्तिक शुक्ल षष्ठी का व्रत कर,
लोक आस्था को जागृत कर लें।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
  सूर्यास्त व सूर्योदय के पल हम,
  जल अर्पण कर शीश झुकाएॅं,
  सुख-समृद्धि,मनोवांछित फल पाएॅं,
  घर से लेकर घाट जब जाएॅं,
  भक्तिगीत समर्पित कर आएॅं।
  चलो सूर्योपासना कर लें,
  छठी मईया की आराधना कर लें।
निर्जला  व्रत कठिन है करना
खीर ग्रहण कर मनाएॅं ‘खरना’।
कद्दू-चावल प्रसाद ग्रहण कर,
व्रत आरंभ करते श्रद्धालु जन,
पावन पर्व का संकल्प ले कर।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
    डाल दीप,फल,फूलों से सजाकर,
    संध्या अर्घ्य  व उषा अर्घ्य अर्पित कर,
    चार दिवसीय यह पर्व मनाकर ,
    निष्ठा-श्रद्धा से जो कर लो इसको
    घाट दीपावली-सा सज जाता फिर तो।
    चलो सूर्योपासना कर लें,
    छठी मईया की आराधना कर लें।

                            अर्चना सिंह जया

Saturday, October 21, 2017

दिवाली [ कविता ]

   
दिवाली की रात है आई,
खुशियों से दामन भरने /
अज्ञानता के तम को दूर भगा,
ज्ञान के दीप को प्रज्ज्वलित करने।
पटाखों की धुॅंध से न होने देना,
सच्चाई की राह को बोझिल /
दूसरे के जीवन को कर रौशन
देखो कैसे ? लौ मंद-मंद मुस्काती ,
मानव तुम भी सीखो इनसे कुछ
हर वर्ष दिवाली, ईद क्या कहने आती ?
मिल जुलकर खुशी मनाने से ही
वसुधा में प्रेम की हरियाली आती।

                        ------- अर्चना सिंह जया


Monday, October 2, 2017

भावांजलि: हाड़ मॉंस का इंसान ( कविता )

भावांजलि: हाड़ मॉंस का इंसान ( कविता ):   हाड़ मॉंस का था वो इंसान , रौशन जिसके कर्म से है जहान। प्रतिभा - निष्ठा कर देश के नाम सुदृढ़ राष्ट् बनाने का थ...

Wednesday, September 6, 2017

हिन्दी हैं हम (कविता )


देवनागरी लिपि है हम सब का अभिमान,
हिन्दी भाषी का आगे बढ़कर करो सम्मान। 
बंद दीवारों में ही न करना इस पर विचार,
घर द्वार से बाहर भी कायम करने दो अधिकार।

कोकिला-सी मधुर है, मिश्री-सी हिन्दी बोली,
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम सबकी हमजोली।
भिन्नता में भी है, यह एकता दर्शाती,
लाखों करोंड़ों भारतीय दिलों में है,जगह बनाती। 

दोहा, कविता, कहानी, उपन्यास, छंद,
हिन्दी भाषी कर लो अपनी आवाज बुलंद। 
स्वर-व्यंजन की सुंदर यह वर्णशाला,
सुर संगम-सी मनोरम होती वर्णमाला। 

निराला, दिनकर, गुप्त, पंत, सुमन,
जिनसे महका है, हिन्दी का शोभित चमन। 
आओ तुम करो समर्पित अपना तन मन, 
सींचो बगिया, चहक उठे हिन्दी से अपना वतन। 

                                                                                            ----- अर्चना सिंह जया
                                                           [ 12 सितम्बर 2009 राष्ट्रीय सहारा ‘जेन-एक्स’ में प्रकाशित ]