भावांजलि

सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।

Friday, August 31, 2018

जिंदगी मिलेगी न दोबारा ....Article

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                                                                                       जिंदगी मिलेगी न दोबारा                     ...
Thursday, August 30, 2018

Mera Krishna....

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(link: https://www.matrubharti.com/bites/111028314) matrubharti.com/bites/111028314 Mera Krishna..... Vicharon ki abhivyakti hai.
Wednesday, August 22, 2018

मानव की मानवता। (कविता)

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         मानव की मानवता   मानव ने है मानवता त्यागी,   कुदरत ने भी जताई नाराज़गी।   ना समझ स्वयं को बलशाली,   तुझ पर भी पड़ेगा कोई भारी। ...
Friday, August 17, 2018

विचारों के अटल। कविता

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जो आदर्श में अटल रहें, विचारों में प्रबल रहें। धर्म जाति से परे वे , मानवता अविरल रहे। विस्तृत विचार व उदार भाव की धारा सरल रही। आकर्...
Monday, August 6, 2018

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www.matrubharti.com/ebites Friendship Story - आत्मग्लानि  If you like my story , pls like,comment and share it.    Thank You.      ...
Sunday, August 5, 2018

मित्रता ( कविता )

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मित्रता (कविता )                   पावन है यह रिश्ता मानो महत्वत्ता जो इसकी पहचानो। लहू के रंग से बढ़कर जानो मित्रता धन अनमोल है मान...
Tuesday, July 10, 2018

कहर में जिंदगी ( कविता )

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कहर में ज़िंंदगी जल कहर में फंसी ज़िंंदगी , कुदरत के आगे बेबस हो रहे बच्चे, बूढ़े व जवान सभी। इंसान के मध्य तो शत्रुता देखी, पर यह कैसी...
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