भावांजलि

सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।

Thursday, October 26, 2017

चलो सूर्योपासना कर लें

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          चलो सूर्योपासना कर लें, छठी मईया की आराधना कर लें। अनुपम लोकपर्व फिर मना कर, कार्तिक शुक्ल षष्ठी का व्रत कर, लोक आस्था को ज...
Saturday, October 21, 2017

दिवाली [ कविता ]

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    दिवाली की रात है आई, खुशियों से दामन भरने / अज्ञानता के तम को दूर भगा, ज्ञान के दीप को प्रज्ज्वलित करने। पटाखों की धुॅंध से न होने...
Wednesday, October 18, 2017

Archana Singh Book | antara | Women Stories Essays Book in Hindi

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Archana Singh Book | antara |  part 1 & 2 Women Stories Essays Book in Hindi
Monday, October 2, 2017

भावांजलि: हाड़ मॉंस का इंसान ( कविता )

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भावांजलि: हाड़ मॉंस का इंसान ( कविता ) :   हाड़ मॉंस का था वो इंसान , रौशन जिसके कर्म से है जहान। प्रतिभा - निष्ठा कर देश ...
Wednesday, September 6, 2017

हिन्दी हैं हम (कविता )

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देवनागरी लिपि है हम सब का अभिमान, हिन्दी भाषी का आगे बढ़कर करो सम्मान।  बंद दीवारों में ही न करना इस पर विचार, घर द्वार से बाहर भ...
Monday, September 4, 2017

Happy Teachers' Day. [POEM]

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नमन है श्रद्धा सुमन (कविता) सतकर्म कर जीवन किया है जिसने समर्पित, उन्हीं के मार्ग पर चल, उन्हें करना है गर्वित। माता -पिता व गुरुज...
Monday, August 14, 2017

जय जय नन्दलाल कविता

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जय जय नन्दलाल लड्डू  गोपाल कहो या नन्द लाल कहो, मंगल गीत गा, जय जयकार करो । समस्त जगत को संदेश दिए प्रेम का विष्णु अवतार लिए,...
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