Thursday, September 10, 2020

किसको जिम्मेदार कहोगे?

कल भी औरों को दोष देते थे,

आज भी दोष मढ़ोगे।

यथार्थ को जो बूझोगे,

किसको जिम्मेदार कहोगे?

क्या वक्त को जिम्मेदार कहोगे?

 प्रतिदिन प्रयास करना है,

 नित आगे ही बढ़ना है।

 भूमि से हैं जुड़े, मेहनत करना है।

 माना वक्त कठिन है सबके लिए

 इससे नहीं डरना है।

अंतर्मन के द्वंद्व से स्वयं ही, 

हमें उभरना है।

जो कभी आत्मचिंतन करोगे,

फिर किसे, कैसे और

किसको जिम्मेदार कहोगे?

मानवता के परीक्षा की है घड़ी

बेरोजगारी,गरीबी और

 प्राकृतिक आपदा संग,

मानव की जंग है छिड़ी।

विजय- पराजय से हो भयभीत

किस पक्ष में खड़े रहोगे?

किसको जिम्मेदार कहोगे?

आज  समय आया है देखो

 खुद के हुनर को संवारने का

 गुजरते इस दौर को,

 इक अवसर में बदलने का।

 मिल कर हाथ बढ़ा तू साथी

दोष-प्रदोष का खेल समाप्त कर,

एक जुट हो अग्रसर होना है,

गंभीरता से इस पर विचार कर।

'कोरोना' ने रचा चक्रव्यूह है ऐसा

शायद यह मानव कुछ समझेगा।

स्वयं से विचार जो करोगे,

फिर किसको जिम्मेदार कहोगे?

क्या वक्त को जिम्मेदार कहोगे?







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