Sunday, August 25, 2019

गज़ल


न तलाशा करो ,सामानों में उनके निशाँ।
जख्म गहरें है दिलों पे, खोजो न यहाँ वहाँ।

 दूरियों की कसक बढ़ती जाती है हर लम्हाँ

दिन खामोश सी और रात हो जाती है बेज़ुबा।

अपने ज़बातों को न संजोया करो सिर्फ पन्नों में
साथी संग बाँटा करो बिखरने न दो जहाँ तहाँ।

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