सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।
Wednesday, November 28, 2018
Monday, November 12, 2018
POEM --- चलो सूर्योपासना कर लें
चलो सूर्योपासना कर लें
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
अनुपम लोकपर्व फिर मना कर,
कार्तिक शुक्ल षष्ठी का व्रत कर,
लोक आस्था को जागृत कर लें।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
सूर्योदय व सूर्यास्त के पल हम,
जल अर्पण कर शीश झुकाएॅं,
सुख-समृद्धि,मनोवांछित फल पाएॅं,
घर से लेकर घाट जब जाएॅं,
भक्तिगीत समर्पित कर आएॅं।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
निर्जला व्रत कठिन है करना
खीर ग्रहण कर मनाएॅं ‘खरना’।
कद्दू-चावल प्रसाद ग्रहण कर,
व्रत आरंभ करते श्रद्धालु जन,
पावन पर्व का संकल्प ले कर।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
डाल दीप,फल,फूलों से सजाकर,
संध्या अर्घ्य व उषा अर्घ्य अर्पित कर,
चार दिवसीय यह पर्व मनाकर ,
निष्ठा-श्रद्धा से जो कर लो इसको
घाट दीपावली-सा सज जाता फिर तो।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
अर्चना सिंह जया
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
अनुपम लोकपर्व फिर मना कर,
कार्तिक शुक्ल षष्ठी का व्रत कर,
लोक आस्था को जागृत कर लें।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
सूर्योदय व सूर्यास्त के पल हम,
जल अर्पण कर शीश झुकाएॅं,
सुख-समृद्धि,मनोवांछित फल पाएॅं,
घर से लेकर घाट जब जाएॅं,
भक्तिगीत समर्पित कर आएॅं।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
निर्जला व्रत कठिन है करना
खीर ग्रहण कर मनाएॅं ‘खरना’।
कद्दू-चावल प्रसाद ग्रहण कर,
व्रत आरंभ करते श्रद्धालु जन,
पावन पर्व का संकल्प ले कर।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
डाल दीप,फल,फूलों से सजाकर,
संध्या अर्घ्य व उषा अर्घ्य अर्पित कर,
चार दिवसीय यह पर्व मनाकर ,
निष्ठा-श्रद्धा से जो कर लो इसको
घाट दीपावली-सा सज जाता फिर तो।
चलो सूर्योपासना कर लें,
छठी मईया की आराधना कर लें।
अर्चना सिंह जया
Thursday, October 25, 2018
Friday, September 21, 2018
POEMS
https://www.matrubharti.com/bites/111033355
https://www.matrubharti.com/bites/111032522
https://www.matrubharti.com/bites/111032513
साधना का जादू - पुस्तक
www.matrubharti.com
मेरी नई पुस्तक ‘‘साधना का जादू’’ जिसे प्रतियोगिता में शामिल किया गया था /आज ही प्रकाशित हुई है जो आप के समक्ष है।
http://www.matrubharti.com
Archana singh
मेरी नई पुस्तक ‘‘साधना का जादू’’ जिसे प्रतियोगिता में शामिल किया गया था /आज ही प्रकाशित हुई है जो आप के समक्ष है।
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Archana singh
Wednesday, September 19, 2018
Friday, September 14, 2018
हिंदी दिवस.पर हार्दिक शुभकामनाएं।
हिन्दी हैं हम (कविता )
देवनागरी लिपि है हम सब का अभिमान,
हिन्दी भाषी का आगे बढ़कर करो सम्मान।
बंद दीवारों में ही न करना इस पर विचार,
घर द्वार से बाहर भी कायम करने दो अधिकार।
कोकिला-सी मधुर है, मिश्री-सी हिन्दी बोली,
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम सबकी हमजोली।
भिन्नता में भी है, यह एकता दर्शाती,
लाखों करोंड़ों भारतीय दिलों में है,जगह बनाती।
दोहा, कविता, कहानी, उपन्यास, छंद,
हिन्दी भाषी कर लो अपनी आवाज बुलंद।
स्वर-व्यंजन की सुंदर यह वर्णशाला,
सुर संगम-सी मनोरम होती वर्णमाला।
निराला, दिनकर, गुप्त, पंत, सुमन,
जिनसे महका है, हिन्दी का शोभित चमन।
आओ तुम करो समर्पित अपना तन मन,
सींचो बगिया, चहक उठे हिन्दी से अपना वतन।
----- अर्चना सिंह जया
[ 12 सितम्बर 2009 राष्ट्रीय सहारा ‘जेन-एक्स’ में प्रकाशित ]
देवनागरी लिपि है हम सब का अभिमान,
हिन्दी भाषी का आगे बढ़कर करो सम्मान।
बंद दीवारों में ही न करना इस पर विचार,
घर द्वार से बाहर भी कायम करने दो अधिकार।
कोकिला-सी मधुर है, मिश्री-सी हिन्दी बोली,
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम सबकी हमजोली।
भिन्नता में भी है, यह एकता दर्शाती,
लाखों करोंड़ों भारतीय दिलों में है,जगह बनाती।
दोहा, कविता, कहानी, उपन्यास, छंद,
हिन्दी भाषी कर लो अपनी आवाज बुलंद।
स्वर-व्यंजन की सुंदर यह वर्णशाला,
सुर संगम-सी मनोरम होती वर्णमाला।
निराला, दिनकर, गुप्त, पंत, सुमन,
जिनसे महका है, हिन्दी का शोभित चमन।
आओ तुम करो समर्पित अपना तन मन,
सींचो बगिया, चहक उठे हिन्दी से अपना वतन।
----- अर्चना सिंह जया
[ 12 सितम्बर 2009 राष्ट्रीय सहारा ‘जेन-एक्स’ में प्रकाशित ]
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