Saturday, April 25, 2020

जीतेंगे कल

विश्वास का दीप जलाता चल
आशा के पर से उड़ान भर।
नव सूर्य उदय होगा फिर कल
मन के तम को हराता चल।
जो आज है बन जाएगा कल
कठिन हो या हो चाहे सरल।
वक्त कभी न ठहरा है पलभर
फिर गम न कर यूँ रह रहकर।
धैर्य,प्रेम,परोपकार,विवेक से
हारेगा कोरोना,जीतेंगे हम कल।

Friday, April 10, 2020

कैसा संदेश


लाकडाउन है हर
गाँव-शहर डगर।
ऐसे में प्रातः
सुनाई दे गया,
काक का स्वर
न जाने देता है प्रतिदिन
हमें कैसा संदेश?
किस आगंतुक की
है सूचना दे रहा?
'कोरोना' भय या कोई
खुशी का संकेत।
नित सवेरे सन्नाटे में
पक्षियों का स्वर
स्पष्ट है सुनाई दे रहा।
स्वतंत्र होकर पक्षीवृंद
इक संदेश हैं दे रहे,
झकझोर कर कह रहे।
महसूस कर हे मानव!
स्वर्ण पिंजर का दर्द।
दीवारें हों जैसी भी
ईंट या लोहे की होंं,
या हो कुंठित विचारों की
हृदय की टीस समान
चाहे वो जीव हो कोई भी।





Friday, April 3, 2020

मैं दीप

मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
तम को दूर कर,
मन में विश्वास भर।
औरों के जीवन को
प्रकाशित हूँ करती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
ना मैं मुश्लिम,ना हिन्दू
मैं आशा को
प्रज्ज्वलित करती।
उल्लास लिए,
जन-जन में
चेतना भरती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
जब अंधकार हो
चहुँ ओर घना,
तब प्रकाश का
चादर फैलाकर
दामन में हूँ लेती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।



Thursday, April 2, 2020

सुप्रभात 🙏


 🙏😊
आओ करें प्रातः सूर्य नमन,
फिर करें कोरोना का दमन।
योग-वंदन कर बढ़ाएँ कदम,
संकल्प, संयम से जीतेंंगे हम।

#सुप्रभात 😊

ना होना मायूस कभी भी,
रुकती नहीं है जिंदगी यहाँ।
कर सको तो करो मोहब्बत,
करो ना कभी नफ़रत यहाँ।
वक्त पर भी कुछ छोड़ा करो
करता है सही फैसला यहाँ।
रिश्तों की डोर गर थाम लो
हरपल गुज़रेगा हँसकर यहाँ।
😊

Saturday, March 28, 2020

दिल से


 😊
ना होना मायूस कभी भी,
रुकती नहीं है जिंदगी यहाँ।
कर सको तो करो मोहब्बत,
करो ना कभी नफ़रत यहाँ।
वक्त पर भी कुछ छोड़ा करो
करता है सही फैसला यहाँ।
रिश्तों की डोर गर थाम लो
हरपल गुज़रेगा हँसकर यहाँ।
😊💐

देश के घर घर में देखो,
परिवार संग उत्सव हो रहे।
योग साधना ,वार्तालाप कर
प्रेम समारोह हैं कर रहे।
छप्पन भोग न सही पर
सात्विक आहार हैं कर रहे ।
स्वास्थ्य आपदा की जंग
मिल जुलकर हैं लड़ रहे।
🙏😊


सन्नाटे पड़े हुए
सड़कों की तस्वीर देख,
खौफ़ सी मन में उठ रही।
किसकी नज़र लग गई,
मानव जाति को।
पक्षी भी छुप गए,
किलकारी भी नहीं।
पुरानी तस्वीरें ही दे रहीं,
थोड़ी सी राहत
इस दिले नादान को।





Monday, March 23, 2020

कोरोना

रास्ते आज तन्हाँ हो गए
बिन राहगीर व मंजिल के।
क्या ख़बर थी कि
वक्त ऐसा भी आएगा।
हम बुद्धिजीवियों को,
कोरोना ही समझा पाएगा।
खामोश हर सड़क, फुटपाथ
गली ,मुहल्ला व शहर
इक पल में अकेला हो जाएगा।
आज इन्साँ को, इन्साँ का
कद्र समझ में शायद आएगा।
एकांत में रहकर ज़रा सोचना
अब ज़िदगी की अपनी दास्ताँँ।
              .......अर्चना सिंह जया

Wednesday, March 18, 2020

सदकर्म ही जीवन

पानी का कोई रंग नहीं,
पवन का कोई धर्म नहीं।
भूख की कोई मज़हब नहीं,
रोटी की कोई जाति नहीं।
सूर्य की किरणों से सीखो,
चाँद की चाँदनी को देखो।
राह दर्शाती जन-जन को,
रौशन करती जनमन को।
ढाई आखर प्रेम-कर्म ही,
है मानवता का धर्म यही।
नदी की सरलता तो देखो,
सागर की गहराई को समझो
नित सीखो आगे बढ़ना ।
जीवन सार्थक बनाकर,
चल सदकर्म के राह पर।
सदाचार व परोपकार से
प्राप्त जीवन को थन्य बना।