Friday, June 21, 2019

योग दिवस par Kavita

योग से प्रारम्भ कर प्रथम पहर (कविता)

 योग को शामिल कर जीवन में
 स्वस्थ शरीर की कामना कर।
 जीने की कला छुपी है इसमें,
 चित प्रसन्न होता है योग कर। 
 घर ,पाठशाला या दफ्तर हो चाहे
 योग से प्रारम्भ कर प्रथम पहर।
      शिशु, युवा या वृद्ध हो चाहे
      योग ज्ञान दो, हर गॉंव-शहर।
      तन-मन को स्वस्थ रखकर
      बुद्धिविवेक है विस्तृत करना।
      इंद्रियों को बलिष्ठ बनाने को
      योग से प्रारम्भ कर प्रथम पहर।
विज्ञान के ही मार्ग पर चलकर
योग-साधना अब हमें है करना।
आन्तरिक शक्ति को विकसित करता,
योग की सीढ़ी जो संयम से चढ़ता।
ईश्वर का मार्ग आएगा नज़र,जो
योग से प्रारम्भ कर प्रथम पहर।
     दर्शन, नियम, धर्म से श्रेष्ठ  
     योग रहा सदा हमारे देश।
     आठों अंग जो अपना लो इसके
     सदा रहो स्वस्थ योग के बल पे।
     जोड़ समाधि का समन्वय कर
     योग से प्रारम्भ कर प्रथम पहर।

                                                                                          21 june   अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर
                                                                                                    - अर्चना सिंह 'जया' 

Thursday, June 6, 2019

सुप्रभात

कोयल की कूक सुबह सुनाई दे गई,
मन में सोए अहसास फिर जगा गई ।
छू कर तन को,पवन जब गुजरती है,
कोई ख़लिश सी मन में फिर जगती है।
अमिया की टहनी पर चढ़ना-झूलना,
पल में मधुकर के पीछे दौड़ना भागना।
बाबा की हथेली से बताशे किशमिश ले,
वो माँ की स्नेह आँचल में आकर छुपना।
बालपन की वो अठखेलियाँ याद आती,
बाबुल की याद तरोताज़ा कर जाती है।
प्रातः पिक गाकर सबका मन है लुभाती,
उदासी में भी मीठा रस घोल है जाती।

Wednesday, June 5, 2019

Poem

आज का वक्त हो सब.को मुबारक,
सिर झुकाकर करो खुदा की इबादत।
प्रेम मोहब्बत मज़हब है हमें सिखाता,
एक रंग, एक सूत्र में है हमें पिरोता ।
चाँद अपनी मुस्कुराहट है बिखेरता,
'ईद का दिन हो मुबारक ' ये है कहता।