सागर ऊर्मि की तरह मानव हृदय में भी कई भाव उभरते हैं जिसे शब्दों में पिरोने की छोटी -सी कोशिश है। मेरी ‘भावांजलि ’ मे एकत्रित रचनाएॅं दोनों हाथों से आप सभी को समर्पित है। आशा करती हूॅं कि मेरा ये प्रयास आप के अंतर्मन को छू पाने में सफल होगा।
Friday, May 18, 2018
Friday, May 4, 2018
अग्नि परीक्षा [ कविता ]
बालपन से सिर्फ सुना किया
राधा ,मीरा, सीता, अहल्या की
नानी-दादी से किस्से- कहानियाँ ।
आनंदित हो जाती थी सुनकर
न सोचा, न तर्क किया कभी
बस मौन रहकर सुना किया।
सीता की हो अग्नि परीक्षा,
या हो अहल्या का शिला श्राप।
मीरा ने क्यों विष पिया ?
चाहे हो राधा का विलाप।
बुद्धि विवेक न थी मेरी
बाल्यावस्था में अकल थी थोड़ी।
प्रौढ़ावस्था में मैं जब आई,
चिंतन मनन को विवश हुई।
क्या अग्नि परीक्षा अब नहीं होती?
या अहल्या सी छली नहीं गई कोई,
यथार्थ में भी विष पी रही मीरा,
घर-घर में जी रही है वीरा।
अबला थी तब भी वो शक्ति,
आज सबला बनने की चाह में
कितनी अग्निपरीक्षा है वो देती।
बच्चों के लिए कभी मौन रहकर,
तो कभी मानमर्यादा को ढ़ोती ।
मिशाल कायम करने की चाह में,
खुद संघर्ष कर सक्षम बन पाती।
चाहत की परवाह किसे,
स्वयं ही जीवन ताना-बाना बुनती।
कलयुग की यह व्यथा हमारी,
इंद्र सा छली, रावण सा कपटी।
मिल जाते हैं हर डगर-गली ,
कहॉं से लाएॅं राम-लखन, केशव ?
कलयुग की व्यथा हुई बड़ी /
सीता ,उर्मिला, मीरा, राधा,
मिलेंगी हर घर - ऑंगन में यहीं ।
''सम्मान देकर, सम्मान है पाना''
ले शपत, पौरुष तब आगे बढ़ना।
अग्नि परीक्षा है अब तुझे देनी ,
दुर्गा ,काली ,लक्ष्मी से पूर्व
समझ पुत्री ,वधु ,स्त्री ,जननी /
देवी पूज, शक्ति करता प्राप्त
नारी शक्ति की पूजा ही नहीं मात्र /
कदम-कदम पर देकर साथ ,
इंसान समझने का संकल्प ले आज /
--------- अर्चना सिंह जया
Friday, April 27, 2018
Saturday, April 14, 2018
भावांजलि: उत्सव, उल्लास है लाया [ कविता ]
भावांजलि: उत्सव, उल्लास है लाया [ कविता ]: पर्व ,उत्सव है सदा मन को भाता ‘खेती पर्व’ संग उल्लास है लाता। कृषकों का मन पुलकित हो गाया, ‘‘खेतों में हरियाली आई, पीली सरसों दे...
Friday, March 23, 2018
शहीदों को भाव पूर्ण श्रद्धांजलि
मातृभूमि ( कविता )
आभार प्रकट करते हैं हम
ऐ वतन, तेरा सदा।
तेरी मिट्टी की खुशबू,
मॉं के ऑंचल में है छुपा।
कई लाल शहीद भी हुए,
फिर भी माताओं ने सपूत दिए।
निर्भय हो राष्ट् के लिए जिए
और शहीद हो वो अमर हुए।
आभार प्रकट करते हैं हम
ऐ मातृभूमि, हम तेरा सदा ।
धैर्य ,ईमानदारी,सत्यता, सहनशीलता
भू भाग से है हमें मिला।
खड़ा हिमालय उत्तर में धैर्यता से
धरा की थामें बाहें सदा।
अटल-अचल रहना समझाता
सहनशीलता वीरों को सिखलाता।
कठिनाई से न होना भयभीत
सत्य की हमेशा होती है जीत।
आभार प्रकट करते हैं हम
ऐ मातृभूमि, हम तेरा सदा।
हिय विशाल है सागर का
दक्षिण में लहराता तन उसका।
नदियॉं दर्पण-सी बहती कल-कल
समतल भूभाग से वो प्रतिपल।
झरने पर्वत से गिरती चलती
जैसे बालाएॅं ,सखी संग हॅसती।
खेत,वन सुंदर है उपवन
भू के गर्भ में छुपा है कंचन।
प्रशंसा कितनी करु मैं तेरी?
भर आती अब ऑंखें मेरी।
विराट ह्रदय है मातृभूमि तेरा
सो गए वो यहॉं, जो प्रिय था मेरा।
आभार प्रकट करते हैं हम
ऐ मातृभूमि! हरदम हम तेरा ।
______ अर्चना सिंह‘जया’
___
Tuesday, March 13, 2018
Pahla Pyaar ....Story
www.matrubharti,com
My next book ' Pahla Pyaar' ---- Mehandi ki raat .
https://www.matrubharti.com
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Archana Singh
Monday, March 5, 2018
नारी तू सशक्त है [ कविता ]
नारी तू सशक्त है।
बताने की न तो आवश्यकता है
न विचार विमर्श की है गुंजाइश।
निर्बल तो वह स्वयं है,
जो तेरे सबल होने से है भयभीत।
नारी तू सशक्त है
धर्म-अधर्म की क्या कहें?
स्त्री धर्म की बातें ज्ञानी हैं बताते
पुरुष धर्म की चर्चा कहीं,
होती नहीं कभी अभिव्यक्त है।
नारी तू सशक्त है।
देवी को पूजते घरों में,
पर उपेक्षित होती रही फिर भी।
मान प्रतिष्ठा है धरोहर तेरी,
अस्तित्व को मिटाती औरों के लिए
नारी तू सशक्त है /
तू ही शारदा ,तू लक्ष्मी,तू ही काली
धरा पर तुझ-सी नहीं कामिनी।
तेरे से ही सृष्टि होती पूर्ण यहाॅं,
भू तो गर्व करता रहेगा सदा।
नारी तू सशक्त रही
और तू सशक्त है सदा।
------------- अर्चना सिंह जया
' 8 मार्च अंतर्राष्टीय महिला दिवस ' पर सभी नारियों को समर्पित /
न विचार विमर्श की है गुंजाइश।
निर्बल तो वह स्वयं है,
जो तेरे सबल होने से है भयभीत।
नारी तू सशक्त है
धर्म-अधर्म की क्या कहें?
स्त्री धर्म की बातें ज्ञानी हैं बताते
पुरुष धर्म की चर्चा कहीं,
होती नहीं कभी अभिव्यक्त है।
नारी तू सशक्त है।
देवी को पूजते घरों में,
पर उपेक्षित होती रही फिर भी।
मान प्रतिष्ठा है धरोहर तेरी,
अस्तित्व को मिटाती औरों के लिए
नारी तू सशक्त है /
तू ही शारदा ,तू लक्ष्मी,तू ही काली
धरा पर तुझ-सी नहीं कामिनी।
तेरे से ही सृष्टि होती पूर्ण यहाॅं,
भू तो गर्व करता रहेगा सदा।
नारी तू सशक्त रही
और तू सशक्त है सदा।
------------- अर्चना सिंह जया
' 8 मार्च अंतर्राष्टीय महिला दिवस ' पर सभी नारियों को समर्पित /
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